Significance of Shravan Month हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास वर्ष का एक अत्यंत पवित्र महीना माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे भक्ति, व्रत, तपस्या और आस्था का प्रतीक माना जाता है। श्रावण मास (Shravan Maas), जिसे आम भाषा में सावन कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण महीना है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसकी हर तिथि को विशेष पूजा-अर्चना के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस मास में व्रत, पूजा, जप और दान का विशेष महत्व होता है, और करोड़ों श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं।
🕉️Shravan Maas 2025 Kab Se Shuru Ho Raha Hai?
सावन 2025 की शुरुआत 11 जुलाई 2025 (शुक्रवार) से हो चुकी है, और इसका समापन 10 अगस्त 2025 (रविवार) को होगा। यह तिथियां उत्तर भारत के पंचांग (पूर्णिमा से मास प्रारंभ) के अनुसार हैं। जबकि दक्षिण भारत में अमावस्या से मास गिनने के कारण तिथियों में अंतर हो सकता है।
Importance of Sawan Month (धार्मिक महत्व) और श्रावण मास की पौराणिक कथाएं

श्रावण मास का प्रत्येक दिन पुण्यदायी माना जाता है, विशेष रूप से सोमवार के दिन सावन सोमवार व्रत का बहुत बड़ा महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को जब भगवान शिव ने ग्रहण किया, तो उनके कंठ से विष की ऊष्मा को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। तभी से इस मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाना परम पुण्यदायी माना गया। समुद्र मंथन में निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वह ‘नीलकंठ’ कहलाए। माता पार्वती ने श्रावण मास में कठिन तप करके शिव को पति रूप में पाया। भस्मासुर की कथा, जिसमें शिव की लीला से असुर का विनाश हुआ।
📿 श्रावण सोमवार व्रत का महत्व

श्रावण मास के सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने का विधान है, मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
सावन सोमवार 2025 की तिथियां
सोमवार व्रत | तिथि (2025) |
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पहला सोमवार | 14 जुलाई |
दूसरा सोमवार | 21 जुलाई |
तीसरा सोमवार | 28 जुलाई |
चौथा सोमवार | 4 अगस्त |
पाँचवाँ सोमवार | 11 अगस्त |

कांवड़ यात्रा 2025 (Kanwar Yatra 2025)
श्रावण मास में कांवड़ यात्रा एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है। इस यात्रा में श्रद्धालु गंगा नदी से गंगाजल भरकर कांवड़ में लाते हैं और शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा विशेष रूप से उत्तर भारत में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार और झारखंड में प्रचलित है।
कांवड़ यात्रा से जुड़े कुछ प्रमुख स्थल:
- हरिद्वार
- गंगोत्री
- देवघर (बाबा बैद्यनाथ धाम)
- काशी विश्वनाथ मंदिर
- kedar nath
कांवड़ यात्रा के दौरान पूरे मार्ग पर शिव भक्तों के लिए भंडारे, झांकियां, भजन संध्या और सुरक्षा की विशेष व्यवस्था होती है।
श्रावण मास में शिव के प्रमुख मंदिरों की यात्रा
श्रावण में देशभर के 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा का विशेष महत्व होता है। कुछ प्रमुख मंदिर:
मंदिर | राज्य |
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काशी विश्वनाथ | उत्तर प्रदेश |
केदारनाथ | उत्तराखंड |
ओंकारेश्वर | मध्य प्रदेश |
सोमनाथ | गुजरात |
बैद्यनाथ | झारखंड |
इन मंदिरों में लाखों की संख्या में भक्त दर्शन व जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।

🙏 श्रावण मास में क्या करें? (धार्मिक अनुशासन)
प्रतिदिन प्रातःकाल स्नान करके शिवलिंग पर जल अर्पण करें
✅ “ॐ नमः शिवाय” का जाप कम से कम 108 बार करें
✅ सोमवार को उपवास रखें
✅ सात्विक भोजन लें, लहसुन-प्याज, मांस और शराब से दूरी बनाए रखें
✅ गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें
✅ शिव चालीसा, रुद्राष्टक और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें
🌿 प्राकृतिक व पर्यावरणीय दृष्टि से सावन
श्रावण मास वर्षा ऋतु का समय होता है। इस समय हरियाली छाई रहती है, और वातावरण शुद्ध व शांत होता है। यह समय प्राकृतिक ऊर्जा, ध्यान, साधना और आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए अनुकूल माना गया है। श्रावण मास केवल एक धार्मिक महीना नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागरूकता, तपस्या और समाजिक एकता का प्रतीक है। इस वर्ष Shravan Maas 2025 11 जुलाई से शुरू हुआ है, जो 10 अगस्त तक चलेगा। इस अवधि में व्रत, पूजा, शिव आराधना, कांवड़ यात्रा और सेवा के माध्यम से हम अपने जीवन को एक नई दिशा और ऊर्जा दे सकते हैं।🙏🙏🙏🙏🙏